स्त्री मुक्ति का सपना बिना पूंजीवादी पितृसत्ता को उखाड़ फेंके नहीं पूरा हो सकता -अंजली

गोरखपुर,8 मार्च । अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर स्त्री मुक्ति लीग और दिशा छात्र संगठन की ओर से पन्त पार्क गोरखपुर विश्वविद्यालय के सामने “स्त्री क्या चाहती है?” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
साथ ही ‘मुक्ति के स्वर’ नाम से पोस्टर प्रदर्शनी लगायी गयी। कार्यक्रम की शुरुआत ‘महिलाएं अगर उठी नहीं तो जुल्म बढता जायेगा’ क्रान्तिकारी गीत से किया गया।
स्त्री मुक्ति लीग की अंजली ने बताया कि 1910 में आयोजित समाजवादी महिला सम्मेलन में क्लारा जेटकिन ने शान्ति, जनतन्त्र और समाजवाद के लिए संघर्ष में दुनियाभर की उत्पीड़ित औरतों की क्रान्तिकारी एकजुटता के प्रतीक के तौर पर 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था, क्योंकि इसी दिन 1857 में अमेरिका के कपड़ा उद्योग में काम करने वाली मेहनतकश औरतों ने काम के घण्टे 16 से 10 करने के लिए एक जुझारू प्रदर्शन किया था।
दिशा छात्र संगठन के शेषनाथ ने
वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण के दावों के ढोल की पोल ये है कि स्त्री उत्पीड़न के हर मामलों में पहले की तुलना में काफी बढ़ोत्तरी हुयी है. सत्ताधारी वर्ग अपने व उच्च मध्यवर्गीय महिलाओं के उदाहरणों के बहाने करोड़ों-करोड़ महिलाओं के बर्बर शोषण व उत्पीड़न की सच्चाई को ढँक देता है. इसी तरह कुख्यात देशी-विदेशी फंडिंग एजेंसियों से फंड लेने वाले तमाम एन.जी.ओ. पंथी नारी मुक्ति आन्दोलन को सुधारों के भ्रम जाल में गोल-गोल घुमाते रहते हैं. जबकि स्त्री मुक्ति का सपना बिना पूंजीवादी पितृसत्ता को उखाड़ फेंके नहीं पूरा हो सकता. तमाम मध्यवर्गीय, शिक्षित महिलाओं को यह समझाना होगा कि आर्थिक स्वावलंबन ही स्त्रियों को मुक्ति नहीं दे सकता. अपनी ताकत को व्यापक व मज़बूत बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि वह मेहनतकश महिलाओं व इस व्यवस्था में शोषित अन्य वर्ग के साथ अपने आन्दोलन को जोड़ें. निश्चित तौर पर तात्कालिक मामलों में स्त्रियों को अपने जुझारू संगठन बनाने होंगे क्योंकि इस व्यवस्था में वो पुलिस प्रशासन के भरोसे नहीं बैठ सकती हैं।
कार्यक्रम में चन्दा, सुशीला, सीमा, अभिषेक, मनीष, शेषनाथ, दीपक, उदयभान, आकृति,धनन्जय आदि मौजूद रहे।

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