भिखारी ठाकुर भोजपुरी साहित्य की सांस्कृतिक चेतना में एक आदरणीय नाम है


हिन्दुस्तानी एकेडेमी उ०प्र०, प्रयागराज एवं बयार फाउंडेशन लखनऊ के तत्वावधान में बुधवार को भिखारी ठाकुर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गोरखपुर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण के साथ हुआ। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सम्मानित वक्ताओं का स्वागत पुष्पगुच्छ, प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्रम् देकर किया गया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रोफेसर नित्यानंद श्रीवास्तव ने कहा कि भिखारी ठाकुर पर केंद्रित कार्यक्रमों के आयोजन से शोधार्थियों, छात्र-छात्राओं एवं नई पीढ़ी को अपनी पारंपरिक बोली एवं संस्कृति से जोड़ने का एक प्रयास है कार्यक्रम में प्रोफेसर सर्वेश पांडे ने कहा कि भिखारी ठाकुर के द्वारा उनकी रचनाओं में विशेष रूप से सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई है उनके भौतिकतावादी व अध्यात्मवादी विचारधाराओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन अध्यापन पर विचार विमर्श किया । प्रोफेसर सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि भिखारी ठाकुर भोजपुरी साहित्य की सांस्कृतिक चेतना में एक आदरणीय नाम है उनके नाटकों में नारी की लाचारिता विवशता आदि के संदर्भ अग्रणीय रहे हैं प्रोफेसर विमलेश मिश्रा ने कहा कि भिखारी ठाकुर को भोजपुरी नाटककारों में स्वाधीन चेतना का नाटककार कहा गया है। श्री प्रदीप सुविज्ञ ने कहा कि भिखारी ठाकुर नाटक के माध्यम से समाज में अपनी अभिव्यक्ति व विचारों को प्रकट करते है।

डॉक्टर रामप्रवेश सिंह ने भिखारी ठाकुर के जीवन के आरंभिक कालखंड का वर्णन किया। रूपांतार नाट्य मंच के कलाकारों द्वारा भिखारी ठाकुर के गीतों की संगीतिक प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम के अंत में बयार फाउंडेशन की सचिव कुसुम मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन जगनैन सिंह नीटू ने किया। इस अवसर पर डॉ. मित्रपाल सिंह, निशिकांत पांडे , शुभम सिंह, सुनील कुमार, अंकेश कुमार श्रीवास्तव एवं शोधार्थी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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