उत्तर प्रदेश के सीएम को खुद का करीबी बताकर लोगो को ठगने वाले दो अभियुक्तो को पुलिस ने किया गिरफ्तार

गोरखपुर।खुद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व गोरखनाथ मंदिर का करीबी बताकर और योगी कारपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से फर्जी संस्था बनाकर ठगी करने वाले गिरोह के कथित सीईओ और निदेशक को गोरखनाथ पुलिस ने रविवार शाम को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को जेल भेज दिया गया। इनके पास से बड़ी संख्या में आईडी कार्ड, मुहर, नियुक्ति प्रमाणपत्र, लेटरपैड आदि बरामद हुए हैं। ये संस्था का सदस्य, पदाधिकारी बनाने तथा सरकारी विभागों में काम करवाने का झांसा देकर जालसाजी करते थे। लखनऊ का एक कथित पत्रकार भी इनके साथ जुड़ा है।

एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि फर्जी संस्था का सीईओ केदारनाथ महराजगंज जिले के पनियरा थाना क्षेत्र सतगुरु मुजुरी बाजार, जबकि निदेशक हर्ष चौहान उर्फ योगी हर्षनाथ मधुबनवाबूधाम जिला गाजियाबाद का रहने वाला है। जांच में सामने आया कि ये पहचान पत्रों की कूटरचना कर लोगों से जालसाजी करते थे। योगी कारपोरेशन ऑफ इण्डिया नामक संस्था बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को भ्रमित करते हुए संस्था की सदस्यता व पदाधिकारी का कार्ड बनाने के नाम पर वसूली करते थे।

सरकारी दफ्तरों में फंसा हुआ काम कराने के नाम पर करते थे वसूली

योगी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से फर्जी संस्था बनाकर जालसाजी करने वाले कथित सीईओ योगी केदारनाथ और निदेशक योगी हर्षनाथ ने कई लोगों को चूना लगाया था। यह गिरोह 1100 रुपये में संस्था का सदस्य बनाता और आईकार्ड जारी करता था।

उसने गोरखनाथ मंदिर और योगी आदित्यनाथ का खुद को करीबी बताकर देश भर में लोगों को सदस्य बना कर वसूली करना शुरू कर दिया था। उसके पास से गुजरात और इंदौर तक के लोगों बांटने के आईकार्ड मिले हैं। वहीं उसके खातें में वसूली के लाखों रुपये भी मिले हैं।

एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि एमएसएमई पोर्टल पर उसने संस्था का रजिस्ट्रेशन कराया था। अभी 13 दिसम्बर से ही उसने इसकी शुरुआत की थी कि उसे पकड़ लिया गया है। अब तक की जांच में पता चला है कि सदस्य और पदाधिकारी बनाने के नाम पर काफी लोगों से वह जालसाजी कर चुका है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को भ्रमित करते हुए शिकार बनाता था।

संस्था का गोरखनाथ मंदिर का पता होने की वजह से लोग आसानी से झांसे में आ जाते थे। एसपी सिटी ने बताया कि आरोपितों के पास से जनता दर्शन में आने वाले लोगों के प्रार्थनापत्र भी मिले हैं। पूछताछ में पता चला है कि काम कराने के बदले वह वसूली करता और प्रार्थनापत्र मुख्यमंत्री के पास पहुंचने से पहले ही ले लेता था। सरकारी कार्यालयों में मंदिर का करीबी होने का अर्दब दिखाकर काम करवाने के बदले वसूली करता था।

भरोसा जीतने के लिए दिया मंदिर का पता लोगों में भरोसा जताने के लिए दोनों ने अपनी संस्था योगी कारपोरेशन ऑफ इण्डिया का पता गोरखनाथ मंदिर अंकित किया था। ये लोग खुद को मंदिर का करीबी व्यक्ति बताते हुए प्रार्थनापत्र लेकर काम कराने का दावा करते और काम करवाने के बदले लाभ भी प्राप्त करते। एसपी सिटी ने बताया कि केदारनाथ आम जनमानस में प्रभाव जमाने के लिए स्वयं को योगी केदारनाथ और अपने सहयोगी हर्षनाथ को योगी हर्षनाथ के नाम से प्रस्तुत करता था।

वहीं इनके साथ आशीष मिश्रा उर्फ अभिषेक कुमार नामक एक कथित पत्रकार का भी नाम जुड़ा है। वह लखनऊ का रहने वाला है। लोगों को बहला-फुसला कर प्रार्थनापत्र लेता था, फिर सरकारी कार्यालयों में काम करवाने के बदले वसूली होती थी। गोरखनाथ थाने की पुलिस ने धर्मशाला के पास से रविवार की शाम को केदारनाथ और हर्षनाथ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया।

कानपुर की रंजना ने दर्ज कराया केस योगी कारपोरेशन के कथित सीईओ व निदेशक के खिलाफ कानपुर, सचंडी के गढ़ी भीमसेन की रहने वाली रंजना सिंह ने जालसाजी का केस दर्ज कराया है। रंजना भाजपा में मंडल मंत्री हैं। रोजगार सेवक व्हाट्सएप ग्रुप पर उन्हें कुछ दिन पहले एक लिंक मिला था। उसके माध्यम से वह योगी कारपोरेशन आफ इंडिया में जुड़ गईं। रंजना ने बताया कि कुछ दिन बाद ग्रुप के संयोजक केदारनाथ ने फोन कर आधार की कॉपी, फोटो और रुपये की मांग की।

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