प्रिंस” आर0बी0 भास्कर द्वारा रचित पुस्तक “काव्य-दर्श्शन'” का विमोचन

“प्रिंस” आर0बी0 भास्कर द्वारा रचित पुस्तक
“काव्य-दर्श्शन'” का विमोचन, दलित साहित्य एवं संस्कृति मंच के तत्वावधान में प्रेस क्लब, गोरखपुर में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा० राम समुझ (पूर्व आयकर आयुक्त)
एवं उद्घाटनकर्ता श्रद्धेय हरिशरण गौतम (पूर्व अपर आयुक्त, वाणिज्यकर ) रहे कार्यक्रम की
अध्यक्षता श्री रामचन्द्र प्रसाद त्यागी (अध्यक्ष दलित साहित्य एवं संस्कृति मंच) तथा संचालन
श्री प्रदीप विक्रांत (महामंत्री उoप्र० एस०सी० / एस०टी0 संयुक्त मोरची) द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुये हरिशरण गौतम ने कवि “प्रिंस'” आर०बी० भास्कर के “काव्य-दर्शन’ की सराहना करते हुये स्पष्ट किया है कि समाज सुधार की दिशा
में कवि का यह प्रयास एक मील का पत्थर साबित होगा। बाबा साहब के प्रति कवि अपनी
आस्था प्रकट करते हुये कहता है कि “बाबा मेरी नजरों में तूँ है एक सितारा ओ सितारा ।
नहीं भूलेंगे जब तक प्राण है हमारा ओ हमारा ।” कवि बाबा साहब के प्रति एक कदम और
आगे बढ़कर लिखता है कि “बाबा नहीं होते तो हम नहीं होते। ये बात समझ हम क्यों नहीं
पाते।”
कवि “प्रिंस” आर०बी0 भास्कर ने अपने सम्बोधन में कहा कि मेरी रचनाओं में
बाबा साहब का वंचितों, अति पिछड़ों के प्रति चिंतन स्पष्ट झलकता है। इसके अलावा
“काव्य-दर्शन ‘ में देश प्रेम, देश भक्ति, अमर शहीदों के प्रति सम्मान, अपने तिरंगे के प्रति
सम्मान, कोरोना काल में मजदूरों के प्रति सम्मान, कुछ गजलें, श्रृंगार गीत महंगाई,
बेरोजगारी, प्रकृति के ऊपर एवं कुछ अन्य विषयों पर आधारित रचनायें हैं। उदाहरण के
लिये “बाबा इन दलितों का एक तूं ही सहारा है। मझधार में है नइ्या तूं ही खेवनहारा है।
रइसों के घर से शहर नहीं बनते। गरीबों के चूल्हे बातों से न जलते।
मुख्य अतिथि डा० राम समुझ द्वारा “काव्य-दर्शन'” के महत्व पर विस्तार से
चर्चा की गई। डा० राम समुझ ने कहा कि कवि “प्रिंस’ आरOबी0 भास्कर द्वारा लिखित
पुस्तक “काव्य-दर्शन” समाज का एक जीता जागता आइना है। कवि के कविताओं में
समाज हित के लिये उनकी पीड़ा एवं प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखाई देती है। कवि डा० वी०आर0
अम्बेडकर के एक सच्चे सिपाही हैं एवं अपने “काव्य- दर्शन” के माध्यम से उनके कारवां को
आगे बढ़ाने के लिये दृढ़ध संकल्पित हैं। विशिष्ट अतिथि- प्रो0 राम नरेश चौधरी ने अपने
सम्बोधन में कहा कि आज तथाकथित समाज दूषित एवं निरंकुश होता जा रहा है। दलितों
के प्रति अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कवि का उनके प्रति यह प्रयास
अदम्य साहस का परिचय देता है। श्री के0सी० भारती ने कहा कि कवि पूर्ण रूप से
अम्बेडकरवादी के साथ- साथ बुद्धवादी भी है तथा “अप्प दीपो भव” के सिद्धांतों को
स्वीकारता है। शिव चन्द राम ने कवि के लेखन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। डा० अलख
निरंजन ने भी अपना विचार व्यक्त करते हुये कहा कि कवि समाज के प्रति सचेष्ट एवं
जागरूक तो है ही अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भली भांति स्वीकार
करता है। विमोचन समारोह में श्री लालमन, एडवोकेट, इं० अरविन्द कुमार, इं० केशव लाल,
श्री घ्रुव राम बौद्ध एडवोकेट, राजेश कुमार बौ्ध, श्री राम सुमेर, ओम प्रकाश, श्री उदय
चन्द राज एडवोकेट, डी ०एन0 चौधरी, सुरलाल बौद्ध, आर०एस० भास्कर आदि ने
भी अपने विचार व्यक्त किये।

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